आज नवरात्रि का पांचवां दिन है। आज के दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना बेहद आसान होती है। अगर सच्चे मन से मां दुर्गा के इस रूप को याद करेंगे तो आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और निःसंतान लोगों को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। सबसे पहले मन में सवाल यह आता है कि मां स्कंदमाता कौन हैं? मां दुर्गा के पांचवे विग्रह या स्वरूप का अवतार क्यों हुआ? इस देवी की गोद में छह मुख वाले कुमार कौन हैं?

कौन हैं मां स्कंदमाता?

चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता देवी पार्वती या मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं। ये चार भुजाओं वाली माता शेर पर सवारी करती हैं। इनके हाथों में कमल पुष्प होता है और अपने एक हाथ से ये अपने पुत्र स्कंद कुमार यानि भगवान कार्तिकेय को पकड़ी हुई हैं। भगवान कार्तिकेय को ही स्कंद कुमार कहते हैं। स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद कुमार की माता।

मां स्कंदमाता की क्यों हुई उत्पत्ति?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, संसार में जब तरकासुर का अत्याचार बढ़ने लगा तो सभी देवी, देवता, मनुष्य, गंधर्व, ऋषि-मुनि आदि चिंतित हो गए। उन सभी ने माता पार्वती से तरकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। उसके पश्चात आदिशक्ति ने अपने तेज से 6 मुख वाले बालक स्कंद कुमार को जन्म दिया। आगे चलकर उनके हाथों ही तरकासुर का अंत हुआ और सभी को उसके अत्याचार से मुक्ति मिली। इस प्रकार से मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप मां स्कंदमाता बनीं।

मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंदमाता,पांचवां नाम तुम्हारा आता।सब के मन की जानन हारी,जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता…

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।कई नामों से तुझे पुकारा,मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता…

कहीं पहाड़ों पर है डेरा,कई शहरो में तेरा बसेरा।हर मंदिर में तेरे नजारे,गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता…

भक्ति अपनी मुझे दिला दो,शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।इंद्र आदि देवता मिल सारे,करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता…

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,तुम ही खंडा हाथ उठाएं।दास को सदा बचाने आईं,चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता…