इस्लामाबाद । रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही पाकिस्तान का दौरा कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच पुतिन की पाकिस्तान यात्रा को लेकर बातचीत की जा रही है। प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही औचारिक रूप से राष्ट्रपति पुतिन को आने का न्योता दे चुके हैं। उन्होंने हाल में पुतिन से फोन पर हुई बातचीत के दौरान भी दोबारा पाकिस्तान आने का न्योता दिया था। बताया जाता है कि पुतिन की यात्रा को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है। यह पहला मौका होगा जब व्लादिमीर पुतिन पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। इससे पहले, पिछले साल रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पाकिस्तान की यात्रा की थी। पाकिस्तान और रूस के बीच बढ़ती नजदीकियों का सबसे बड़ा असर भारत पर देखने को मिल सकता है। भारत के विरोध के बावजूद रूस और पाकिस्तान हर साल सैन्य अभ्यास भी करते हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन की पाकिस्तान यात्रा को लेकर पिछले दो साल से दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही है, लेकिन कोरोना सहित कई दूसरे कारणों से ठोस नतीजा नहीं निकला। 
खबर के मुताबिक, रूस चाहता है कि पुतिन की पाकिस्तान यात्रा के दौरान किसी बड़ी परियोजनाया या दूसरी कोई पहल होनी चाहिए, जिसका ऐलान किया जा सके। कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि पुतिन तभी यात्रा करना चाहते हैं जब उनके पास बेचने को कुछ बड़ा हो। माना जा रहा है कि पुतिन इस्लामाबाद में पाकिस्तान-रूस गैस पाइपलाइन समझौते का ऐलान कर सकते हैं। हाल के दिनों में इस समझौते को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों ने कई राउंड की बैठकें भी की हैं। पाकिस्तान चाहता है कि राष्ट्रपति पुतिन अरबों डॉलर की गैस पाइप लाइन परियोजना का शिलन्यास करें। ऐसे में इसका काम इसी साल शुरू किया जा सकता है। इसके अलावा रूसी कंपनियां सिंध प्रांत के कराची से पंजाब प्रांत के कसूर तक पाइपलाइन बिछाने का काम करें। 
गौरतलब है कि रूस-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन समझौता 2015में किया गया था, लेकिन रूसी कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध और कई दूसरे मुद्दों के कारण 1122 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू नहीं हो सका था। अगर यह पाइपलाइन बिछ जाती है तो पाकिस्तान को रूस से सीधे तेल और गैस की सप्लाई शुरू हो जाएगी। इससे ऊर्जा जरूरतों के लिए पाकिस्तान की निर्भरता खाड़ी देशों से कम हो सकती है। इसी साल 6 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 19 घंटे की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। तब रूस ने बताया था कि इस यात्रा का उद्देश्य वार्षिक भारत-रूस सम्मेलन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना है। भारत यात्रा के बाद रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान भी गए। भारत के साथ संबंधों को लेकर रूस शुरू से ही पाकिस्तान से किनारा करता रहा है। लेकिन, 2009 के बाद भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों के बनने से बेचैन रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि भारत के विरोध के बावजूद रूसी सेना ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया।
रूसी विदेश मंत्री ने तब ऐलान किया था कि उनका देश पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार मुहैया कराएगा। शीत युद्ध काल के इन दो विरोधियों के बीच आतंकवाद से लड़ने में सहयोग बढ़ाने और संयुक्त नौसैन्य एवं भूमि अभ्यास करने पर सहमति भी बनी। रूस ने हालांकि यह नहीं बताया था कि वह पाकिस्तान को कौन सा हथियार देगा। जाहिर है कि रूस की इसी बात से भारत चिंतित था। अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात और एशिया में बनते जियो-पॉलिटिकल एनवायरमेंट को देखकर रूस और पाकिस्तान करीब आ रहे हैं। सितंबर में ही रूस के उप रक्षा मंत्री जनरल अलेक्जेंद्र वी फोमिन ने पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को बढ़ाने के लिए बातचीत की थी। 
सितंबर से लेकर अबतक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कम से कम तीन बार बात भी कर चुके हैं। सितंबर में पाकिस्तानी सेना ने रूसी सेना के साथ द्रुजबा-2021 नाम का संयुक्त अभ्यास भी किया था। रूस और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच संयुक्त अभ्यास को बढ़ाने, खुफिया जानकारी साझा करना और क्षेत्रीय सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान करने पर सहमत हुए हैं। अगर रूस से पाकिस्तान को खुफिया जानकारी मिलनी शुरू होती है तो यह भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात होगी। इतना ही नहीं, द्विपक्षीय युद्धाभ्यास करने से पाकिस्तान को रूस के उन हथियारों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकती है, जिसका इस्तेमाल भारत करता है। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा भारत से है, ऐसे में वह रूस को अपने पाले में कर खुद की ताकत बढ़ाने की कोशिश कर सकता है।